कुशीनगर:आज मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दें पर लिखने का प्यास कर रहा हु।इसके बारे में हर कोई जानता है समझता है परन्तु विकल्प ना होने पर उसे स्वीकार करना पड़ता है।
मुझे मात्र दो वर्षों के पत्रकारिता के दौरान अब तक सैकड़ो फ़ोन आ चुके होंगे की हमारी मदद करे।जहाँ मैं उन्हें पुलिस से मदद लेने की सलाह देता हूं।
आइये बताते है आप लोगों को मैं बात कर रहा हू विदेश भेजने के नाम पर ठगी की यह मामला ऐसा है कि अपने कुशीनगर जनपद के लगभग लगभग सभी गांव शहरों में मामला आपको मिल जाएगा सुनने के देखने को आप जहां हैं आपके आसपास भी इस तरह के मामले अक्सर सुनने को मिलते होंगे इन सभी मामलों में जहां पीड़ित पैसा देकर फस जाता है और उससे मिलने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है मामला पुलिस थाने तक जाती है वहां पर हमें देखने मिलता है कि कुछ ही मामलों में पुलिस के हस्तक्षेप के दबाव में पैसों की वापसी हो पाती है।
कई मामलों में तो ऐसे सुनने को मिला है कि पैसा फ़साने वाले एजेंट ने पुलिस से मिल कर मामले को रफा दफा करा दिया। और सब जानते हैं कि अपने जिले में कंपनी कारखाने या रोजगार का और कोई विकल्प न होने के कारण हमारे जिले के युवा रोजगार पाने बेहतर भविष्य के लिये अरब देश जाने का रुख करते हैं जोकि आज उन देशो की भी दशा ठीक नही है। परन्तु विकल्प ना होने के कारण लोगों को वहां जाना पड़ता है ।
जैसा कि हम जानते हैं कि आज जिले के हर छोटे-मोटे चौराहे कस्बा और नगरों में टेस्टिंग वीजा विदेश भेजने के नाम पर ऑफिस खुला हुआ है जहां पर भारी पैमाने पर लोगों के पासपोर्ट जमा कर पैसे की उगाही करने धोखाधड़ी के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं ।
आजकल तो ऐजेंटो ने टूरिस्ट वीजा पर लोगों को विदेश भेज देते जहाँ वहाँ उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ता है जिसमे कुछ लोग अगर अपने वतन लौट आते है तो कइयों को गुलामों की तरह रखा जाता है जो अपने देश चाह कर भी नही आ पाते आज भी अपने जिले के हमको लगता है दर्जनों युवा विदेशों में फंसे हुए हैं जो नहीं आ पा रहे।
विदेश जाने के मामले में कहा जाये तो कदम कदम पर जोख़िम बरकार है जैसे कि परिजन विदेश जाने के लिये भारी व्याज पर पैसा लेते है जिनके खेत है वह रेहन रख कर पैसा एजेंट को देते है जहाँ इस कार्य मे कोई समय-सिमा नही होती तो वर्ष भी लग जाते ,उधर व्याज बढ़ रहा कोई ख़बर नही इस दौरान विदेश जाने वाला भारी तनाव से गुजरता है।
वहीं विदेश जाने पर सही काम मिलेगा की नही वो भी समस्या बनी रहती है अब तो कई लोग फोन पर बताते है कि हमारी कंपनी 6 महीने से सैलेरी नही दे रही रहना मुश्किल हो गया है ।
कुछ लोग वाकई खुदकिष्मत होते है जिन्हें सब सही और सही मिल जाता है जो अन्य युवाओ के लिये मिशाल बनते है तथा वह बनने के चक्कर मे एजेंटो के शिकार बन जाते है।
समय-समय पर प्रशासन द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों से युवाओं से आगाह किया जाता है किया जाता है कि आप ऐसे संस्थान या ऐसे माध्यम से विदेश जाये जो भी संस्थान सरकार द्वारा पंजीकृत हो उसके विश्वसनीयता कायम हो परंतु जो मोबाइल टावर की तरह हर चौराहे पर एजेंटों ने अपने जाल बिछा रखा है और गांव में जिसके कारण लोग आसानी से उनके जाल में फस जाता है।
और यह आलम है कि आज हरगांव मैं आपको ठगी के शिकार पीड़ित मिल जाएंगे अभी जब आप हमारी ब्लॉग पढ़ रहे होंगे तो आपके सामने इस तरह के कई चेहरे घूमने होंगे जो लोग फंसे हुए हैं।