गोरखपुर : 17 नवम्बर को शासन की तरफ से प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालय/महाविद्यालयों में पठन पाठन शुरू करने का दिशा निर्देश जारी किया गया है।
जिसमे शर्तों के साथ शासन द्वारा विश्वविद्यालय/महाविद्यालयों में 23 नवम्बर से पढ़ाई शुरू करने का अनुमति प्रदान की गई है।
जिसमें प्रमुख रूप से किसी भी बन्द स्थान यथा, हॉल/कमरे के निर्धारित क्षमता का 50 प्रतिशत किन्तु अधिकतम 200 व्यक्तियों तक को फेस मास्क, सोशल डिस्टेन्सिंग, थर्मल स्कैनिंग व सेनेटाइजर एवं हण्ड वॉश की उपलब्धता की अनिवार्यता के साथ
(b) किसी भी खुले स्थान / मैदान पर ऐसे स्थानों के क्षेत्रफल के अनुसार फेस मास्क सोशल डिस्टेन्सिंग, थर्मल स्कैनिंग व सेनेटाइजर एवं हैण्ड वॉश की उपलब्धता की अनिवार्यता के साथ।
विश्वविद्यालय / महाविद्यालय खोले जाने के सम्बन्ध में गतिविधियों की योजना एवं निर्धारण
विश्वविद्यालय/महाविद्यालयों में अपने परिसर को फिर से खुलने तथा शिक्षण कार्य की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालन किए जाने हेतु अपनी योजना विकसित किए जाने की आवश्यकता होगी, जो कि निम्नवत है :-
- संस्थाओं को विभिन्न कार्यक्रमों में सभी विभागों एवं छात्रों के वैचों के लिये पूरी तरह रोस्टर के साथ चरणबद्ध तरीके से परिसर खोलने का विवरण तैयार किया जाय।
- शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्रों को आई0कार्ड० पहनना अनिवार्य किया जाय। • संकाय, छात्र, कर्मचारी को एक दूसरे से बचने के लिये नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए।
- कक्षाओं को चरणबद्ध तरीके से चालू किए जाने के सम्बन्ध में सप्ताह में 06 दिवसीय शिड्यूल का पालन किया जा सकता है तथा बैठने की व्यवस्था को शारीरिक दूरी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाया जाय।
- विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में कक्षाओं के आकार को कम करने और कक्षाओं के दौरान शारीरिक दूरी को बनाए रखने के लिये कक्षाओं को कई भागों में विभाजित किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
- कक्षाओं की उपलब्धता के आधार पर कक्षाओं में भाग लेने के लिये 50 प्रतिशत छात्रों को रोटेशन के आधार पर अनुमति दी जा सकती है।
- ऑनलाइन शिक्षण के लिये शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। परिसर में आगन्तुकों को बिल्कुल भी अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए या उनके प्रवेश को प्रतिबन्ध किया जाना चाहिए।
- परिसर में भीडभाड़ से बचने के दृष्टि से शैक्षिक कैलेण्डर योजना बनायी जाय जितना सम्भव हों एकेडमिक कैलेण्डर में नियमित कक्षाओं और ऑनलाइन शिक्षण के मिश्रण को बढ़ावा देना चाहिए।
- शिक्षण और प्रशिक्षण कार्य के लिये दिनवार एवं समयवार का निर्धारण संस्था द्वारा किया जा सकता है।
- प्रयोगशाला में अधिकतम क्षमता को कम करते हुए पुनः निर्धारण किया जाय
- वृद्ध कर्मचारी, गर्भवती महिला तथा गम्भीर रूप से रोगी कर्मचारियों को छात्रों के साथ सीधे सम्पर्क वाले कार्यों से दूर रखना चाहिए।
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