Sunday, April 28, 2024
Homeकुशीनगर समाचारबुद्ध पूर्णिमा पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कुशीनगर का किया...

बुद्ध पूर्णिमा पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कुशीनगर का किया जिक्र…

कुशीनगर :  बुद्ध पूर्णिमा(Budh purnima) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ(IBC) के सहयोग से दुनियाभर के बौद्ध संघों के सभी प्रमुखों की भागीदारी के साथ हुये वर्चुअल प्रार्थना कार्यक्रम आयोजित हुआ।

जहां पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कुशीनगर का जिक्र किया करते हुये कहा कि।

आपके बीच आना बहुत खुशी की बात होती, लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं । इसलिए, दूर से ही, टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसका मुझे संतोष है

लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर (kushinagar) के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण बहुत ही सुंदर है।

हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है।

आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है। करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं.

प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है। भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है। वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से, दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया

बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं। सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद, इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है.

समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है। ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि एक पवित्र विचार भी है.

बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है। बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है। बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है.

ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुःख- निराशा- हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती.वो कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता। आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

भगवान बुद्ध के बताए 4 सत्य यानि दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना, ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं.

आज आप भी देख रहे हैं कि भारत निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेद के, अपने यहां भी और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है.

भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है, अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है.

बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं। इसी आत्मबोध के साथ, भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा। भारत की प्रगति, हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी

वही कुशीनगर जनपद में बुद्ध पूर्णिमा पर लॉकडाउन के कारण गौतम बुद्ध (Gautam Budh) की जयंती को सादगी से मनाया,आज 2564वीं त्रिविध पावन बुध्द जयन्ती,कुशीनगर में सादगी से मनाई गई,

जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग (Socail Distance) का पूरा ध्यान रखते हुये, बौद्ध भिक्षुओं ने पूजा अर्चना की।

Prabhat

कुशीनगर लाइव.com के साथ विगत 05 वर्ष से जुडाव,जो कुशीनगर लोकप्रिय न्यूज़ साइट है.जहा प्रतिदिन हजारों लोग साइट पर विजिट करते है.

Durgesh rai kushinagar
Prabhathttps://kushinagarlive.com
कुशीनगर लाइव.com के साथ विगत 05 वर्ष से जुडाव,जो कुशीनगर लोकप्रिय न्यूज़ साइट है.जहा प्रतिदिन हजारों लोग साइट पर विजिट करते है.
RELATED ARTICLES

Most Popular